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एक वर्ष में 5690 करोड़ की 36 लघु सिंचाई योजनाएँ मंजूर

प्रदेश में एक वर्ष में 5690 करोड़ रुपये लागत की 36 लघु सिंचाई योजनाएँ (एक वृहद सिंचाई योजना) स्वीकृत कर राज्य सरकार ने खेती को समृद्ध बनाने के संकल्प को पूरा किया है। इन परियोजनाओं के पूर्ण होने पर 2 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। इसी अवधि में 74 लघु योजनाए भी पूर्ण की गई हैं, जिनसे 26 हजार 277 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा बढ़ी है। इसके अलावा, निर्माणाधीन वृहद एवं मध्यम परियोजनाओं से लगभग 60 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा निर्मित हुई है। इसी अवधि में सी.बी.आई.बी. नई दिल्ली द्वारा प्रदेश की मोहनपुरा बहुउद्देश्यीय परियोजना को समय पर पूर्ण करने तथा निर्माण में पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का उपयोग करने पर ''बेस्ट कंस्ट्रक्शन एन्टिटी'' (सर्वश्रेष्ठ निर्माण इकाई) के रूप में पुरस्कृत किया गया है।


5 साल में 12 लाख हे. में सिंचाई क्षमता का लक्ष्यराज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि सिंचाई क्षमता में अगले 5 साल में 12 लाख हेक्टेयर की वृद्धि की जाएगी। इस तरह सिंचाई की वर्तमान क्षमता 33 लाख हेक्टेयर को बढ़ाकर 45 लाख हेक्टेयर किया जाएगा। साथ ही, अगले 5 साल तक सिंचाई जल की दरों को स्थिर रखा जाएगा। राज्य सरकार ने जल उपभोक्ता संस्थाओं के निर्वाचन की अवधि को भी 2 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष किए जाने का निर्णय लिया है।


जलाशयों की पूर्ण भराव जल क्षमता अर्जित करने के लिये नई नीति


प्रदेश के जलाशयों की पूर्ण जलभराव क्षमता प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार ने नई नीति बनाई है। जलाशयों की सिल्ट एवं रेत को अलग-अलग कर सिल्ट किसानों को दी जाएगी। रेत का विक्रय कर राजस्व प्राप्त किया जाएगा। खेती के विकास के लिए सिंचाई परियोजनाओं में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने पर भी विचार किया जा रहा है।


जल क्षति रोकने के लिये नहरों की लाइनिंगप्रदेश में किसानों की सहभागिता से मार्च 2019 की स्थिति में 2064 जल उपभोक्ता संस्थाओं के माध्यम से 24 लाख 74 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रबंधन का कार्य किया जा रहा है। नवीन योजनाओं में नहरों में लाइनिंग का प्रावधान किया गया है। इससे जल की क्षति को रोकने में मदद मिलेगी। तवा एवं बारना वृहद परियोजनाओं में पिछले एक वर्ष में क्रमशः 116.34 किलोमीटर एवं 113.51 किलोमीटर लाइनिंग का कार्य किया गया है। वर्तमान ममें 114 लघु सिंचाई योजनाओं के डीपीआर तैयार करने की कार्रवाई भी जारी है।


बांधों के जल से तालाबों का भरावप्रदेश में जल की मांग एवं बांधों में अतिरिक्त जल की उपलब्धता के आधार पर गंगा-कछार रीवा के 112 तालाबों को बाणसागर के बांध के जल से भरा जा रहा है। इसी तरह, यमुना कछार ग्वालियर के 14 तालाबों को विभिन्न नहरों से तथा टीकमगढ़ जिले में हरपुरा नहर से क्षेत्र के 10 तालाबों को भरा जा रहा है। जल संसाधन विभाग के आधिपत्य के सभी चंदेल कालीन और अन्य प्राचीन तालाबों का रख-रखाव भी नियमित रूप से किया जा रहा है। छतरपुर तथा टीकमगढ़ जिले के 30 प्राचीन तालाबों के सुधार और सुदृढ़ीकरण के प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं।


अधूरी सिंचाई योजनाओं की पूर्णता को प्राथमिकताराज्य सरकार ने अधूरी पड़ी सिंचाई योजनाओं को पूरा करने के कार्य को प्राथमिकता दी है। प्रतिवर्ष 100 लघु सिंचाई योजनाओं को पूर्ण किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। चार वृहद और आठ मध्यम परियोजनाओं को शीघ्र पूर्ण किए जाने का लक्ष्य है। इस प्रयासों से अब वह दिन दूर नहीं, जब पूरा मध्यप्रदेश सिंचाई के मामले में पूरी तरह आत्म-निर्भर होगा।


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