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COVID-19: कोरोना वायरस से लड़ाई में सरकार ने बदली रणनीति, न्यूमोनिया के मरीजों की भी होगी जांच

स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी अस्पतालों को कोरोना वायरस   से संक्रमित मरीज़ों की संख्या में बढ़ोतरी होने की स्थिति के लिए तैयार रहने और इनके लिए जरूरी बेड खाली रखने को कहा है.


नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ जारी लड़ाई में भारत सरकार ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. सरकार ने फैसला किया है कि अब सभी अस्पतालों में निमोनिया मरीजों की जांच होगी. इसके लिए सभी राज्यों को आदेश जारी किए गए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को आदेश जारी किया है कि निमोनिया के सभी रोगियों के बारे में भी एनसीडीसी या आईडीएसपी को सूचित किया जाना चाहिए, ताकि उनकी कोविड-19 की जांच की जा सके. शुक्रवार को अस्पतालों को जारी किये गये सलाह में सरकार ने कहा- 'किसी भी संदिग्ध COVID-19 रोगी को किसी भी अस्पताल से वापस ना जाये और ऐसे किसी भी मरीज के भर्ती होने की सूचना एनसीडीसी (राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र) या आईडीएसपी (एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम) को तुरंत दी जाए.'

सरकार की ओर से कहा गया है, 'इसी तरह सभी निमोनिया रोगियों के बारे में एनसीडीसी या आईडीएसपी को सूचित किया जाना चाहिए ताकि उनका भी COVID -19 टेस्ट हो सके. अस्पताल अपने परिसर में सोशल डिस्टेंसिंग को भी सुनिश्चित करें.' इससे पहले कोरोना की जांच यात्रा या कॉन्टैक्ट हिस्ट्री और कॉन्टैक्ट हिस्ट्री के साथ सिम्पटम तक ही सीमित थी.

इससे पहले भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा, '14514 व्यक्तियों के कुल 15404 नमूनों का सार्स कोवी 2 को लेकर 20 मार्च शाम छह बजे परीक्षण किया गया. अब तक संदिग्ध मामलों से से कुल 236 मामलों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है.'

पर्याप्त संख्या में बेड,मास्क और वेंटिलेटर खरीदने को कहा


वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अस्पतालों और चिकित्सा शिक्षा संस्थानों को पर्याप्त संख्या में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन के उच्च प्रवाह वाले मास्क खरीदने के लिए कहा है और उन्हें अपने-अपने परिसरों में सभाओं व लोगों की भीड़ को कम करने की सलाह दी है. मंत्रालय द्वारा जारी एक परामर्श में कहा गया कि रोगियों के किसी भी संभावित प्रवाह के लिए देश में चिकित्सा ढांचे को तैयार करने की आवश्यकता है.

परामर्श के अनुसार, गैरजरूरी (जिनकी तत्काल आवश्कता नहीं है) सर्जरी को स्थगित कर दिया जाना चाहिए. परामर्श में कहा गया कि सार्वजनिक और निजी अस्पताल में पृथक इकाइयों की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कुछ बेड अतिरिक्त रखने चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ठीक हालत वाले रोगियों को जल्द से जल्द छुट्टी दे दी जाए जबकि नए प्रवेश (स्थिर हालत वाले रोगियों के) को भी प्रतिबंधित करें.

इसमें कहा गया है कि सभी डॉक्टरों, नर्सों और विभिन्न इकाइयों के सहायक कर्मचारियों को संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण अभियानों में लगाए और उन्हें प्रशिक्षित किया जाए. उसमें कहा गया, ‘आगे की तैयारियों के लिए अस्पतालों को पर्याप्त संख्या में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन मास्क खरीदकर रखने चाहिए.’


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