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लॉकडाउन का समर्थन नहीं किया तो बेकाबू हो सकती है स्थिति, कोरोना की महामारी झेलने लायक नहीं है हेल्थ सिस्टम

लॉकडाउन नहीं तो कैसे होगी कोरोना से जंग: सवा सौ करोड़ लोगों पर सिर्फ 7.13 लाख बेड और 11.59 लाख डॉक्टर! ऐसे में अगर कोरोना वायरस की महामारी फैली तो लोगों को बचाना होगा मुश्किल, बचाव के लिए घर में रहना सबसे बेहतर


 


नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बार-बार अपील करने के बावजूद कुछ लोग जनता कर्फ्यू   और लॉकडाउन तोड़कर सड़कों पर निकल रहे हैं. जबकि डॉक्टरों का कहना है कि बाहर निकलने और मिलने जुलने से स्थिति बेकाबू हो सकती है, क्योंकि हमारा हेल्थ सिस्टम कोरोना वायरस   जैसी महामारी झेलने लायक नहीं है. सवा सौ करोड़ की आबादी पर मात्र 25,778 सरकारी हॉस्पिटल (Hospital) हैं. उनमें सिर्फ 7.13 लाख बेड और महज 11,59,309 एलोपैथिक डॉक्टर हैं. ऐसे में अगर कोरोना वायरस की महामारी फैली तो लोगों को ईलाज कैसे मिलेगा, इसका अंदाजा आप खुद की लगा लीजिए. वो भी उसका ईलाज जिसकी अब तक दवा ही नहीं बनी है.


स्वास्थ्य क्षेत्र के जानकार डॉ. सुरेंद्र दत्ता कहते हैं कि लोगों ने 'जनता कर्फ्यू' को तोड़ा इसलिए महाराष्ट्र सरकार को सख्ती से सरकारी तौर पर कर्फ्यू लागू करना पड़ा है. ऐसी स्थिति दूसरे राज्यों में भी आ सकती है. लॉकडाउन आपकी सेहत को ठीक रखने के लिए किया गया है. दिल्ली-एनसीआर जैसे क्षेत्र जहां कम जगह में ज्यादा लोग रहते हैं वहां भीड़ होने से खतरा देश के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले ज्यादा बढ़ सकता है.


सबसे भीड़भाड़ वाला क्षेत्र है दिल्ली


जनसंख्या के आंकड़ों के मुताबिक 1901 में देश में सिर्फ 77 लोग प्रति वर्ग किलोमीटर रहते थे, जबकि 2011 में 382 लोग हो चुके हैं, जाहिर है कि भीड़भाड़ बढ़ रही है. दिल्ली में तो रिकॉर्ड 11,320 लोग एक वर्ग किलोमीटर में रहते हैं. जिससे यह देश का सबसे भीड़भाड़ वाला क्षेत्र है. इसलिए यहां पर इंफेक्शन फैलने का खतरा ज्यादा है. ऐसे में अच्छा है कि अपने परिवार के साथ घर में ही रहें.


अस्पतालों में बेड: बिहार में बदतर व्यवस्था


नेशनल हेल्थ प्रोफाइल  के मुताबिक देश में औसतन 1844 लोगों पर हॉस्पिटल में मात्र एक बेड उपलब्ध है. ऐसे में अगर महामारी फैली तो ईलाज मिलने में कितनी मुश्किल होगी. बिहार में तो स्थिति सबसे बुरी है, जहां हॉस्पिटलों के एक बेड पर 8645 लोग निर्भर हैं. इसमें से भी अधिकांश बेड कोरोना के ईलाज लायक नहीं हैं.


इसी प्रकार कोरोना प्रभावित हरियाणा में 2496 लोगों पर सरकारी अस्पताल में महज एक बेड, यूपी में एक बेड पर 2904 और महाराष्ट्र में 2306 लोग निर्भर हैं, इनमें थोड़ी बेहतर स्थिति दिल्ली में है जहां सरकारी अस्पताल के एक बेड पर सिर्फ 824 लोगों की निर्भरता है.


ईलाज के लिए किसी भी राज्य में पर्याप्त डॉक्टर नहीं


डब्ल्यूएचओ (WHO) के मुताबिक 1000 लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए. जबकि भारत में 11,082 की आबादी पर मात्र एक डॉक्टर है. डॉ. दत्ता कहते हैं कि नर्सों एवं पैरामेडिकल स्टाफ की भी अपने देश में भारी कमी है. बिहार में एक डॉक्टर पर 28,391 लोगों के ईलाज का बोझ है. जबकि उत्तर प्रदेश में 19,962 लोगों पर एक डॉक्टर है. हरियाणा में एक डॉक्टर पर ईलाज के लिए 10189 लोग निर्भर हैं.


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