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नरवाई जलाना पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा -

सीहोर ----जिले में गेहूँ की फसल काटने के उपरांत पौध अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यदि कोई व्यक्ति या संस्था द्वारा फसल कटाई के उपरांत फसल अवशेषों को जलाने पर ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार पर्यावरण मुआवजा वसूलने के साथ भारतीय दण्ड विधान की धारा-188 के तहत दण्डनीय कार्रवाई की जायेगी। किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के आदेशानुसार अब गेहूँ की फसल काटने के उपरांत पौध अवशेषों को जलाना पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है। अब हार्वेस्टर मशीन संचालकों को यह आवश्यक होगा कि वे हार्वेस्टर मशीन के साथ-साथ भूसा बनाने की मशीन (स्ट्रीरीपर) लगाकर फसल की कटाई के बाद अवशेष स्थल पर ही भूसा बनाकर अवशेष का निपटान करें। प्रत्येक कम्बाईन हार्वेस्टर संचालक फसल कटाई प्रारंभ करने के पूर्व अपना पंजीयन करना होगा। बिना पंजीयन के स्ट्रीरीपर का उपयोग करते पाए जाने पर इसकी सूचना संबंधित पुलिस थाने, ग्राम पंचायत निगरानी अधिकारी एवं पंचायत सचिव को दें। हार्वेस्टर मशीन एवं स्ट्रीरीपर (भूसा बनाने का संयंत्र) से भूसा बनाने के दौरान निकलने वाली चिंगारी से आगजनी की घटना को रोकने हेतु मशीन संचालक अग्नि सुरक्षा संयंत्र के साथ-साथ आग बुझाने के लिये रेत एवं पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करेगा। उन्होंने किसान भाईयों से आग्रह किया है कि गेहूँ के अवशेषों को खेतों में न जलायें। बल्कि अवशेषों से मशीन से भूसा बनाकर जानवरों हेतु उपयोग करें।


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