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वैज्ञानिक दल ने प्याज की फसल का किया निरीक्षण एवं किसानो को दी सलाह


    कृषि विज्ञान केन्द्र बड़वानी एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारियो के संयुक्त दल द्वारा ग्राम सेगॉंव में प्याज की फसल का निरीक्षण किया गया। इस दौरान इन्होने किसानो से भी चर्चाकर जहॉ आवश्यक जानकारी प्राप्त की। वही किसानो को भी मौके पर ही समुचित सलाह एवं मार्गदर्शन प्रदान किया।
     इस संयुक्त दल में सम्मिलित कृषि विज्ञान केन्द्र बड़वानी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एस. के. बड़ोदिया, उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. डी.के. जैन, उद्यानिकी विस्तार अधिकारी बड़वानी श्री पी.एस. चौहान ने कृषक श्री ओमप्रकाश काग, श्री मनोज कुशवाहा एवं श्री लाला भाई आदि कृषकों के प्रक्षेत्र का भ्रमण किया एंव प्याज की फसल में थ्रिप्स का आक्रमण अतिगंभीर स्तर तक पाया। इस दौरान  वैज्ञानिकों ने  पाया कि कीट के आक्रमण के साथ-साथ पौधों में लीफ ब्लाइट एवं कोलेटोट्रीकम ब्लाइट रोग की भी समस्या है।
    इस हेतु विशेषज्ञो ने  कृषकों को पौधों में कीट थ्रिप्स नियंत्रण हेतु मिथायलडेमेटान 25 ई.सी.  1 एम.एल./ली. या डायमेथोएट 30 ई.सी. 1 एम.एल./ली. साथ में स्टीकर टीपाल 0.5 एम.एल./ली. मिलाकर छिड़काव करने, रोग नियंत्रण हेतु कॉपर आक्सी क्लोराइड 0.25 प्रतिशत एवं मैनकोजेब दवा 1.5 ग्राम प्रति लीटर या क्लोरोथेलोनिल 0.2 प्रतिशत का छिड़काव करने की सलाह दी। साथ ही वैज्ञानिको ने बताया कि थ्रिप्स नामक कीट फसलों की पत्तियों के मुलायम भाग को खुरचकर नुकसान पहुंचाता है जिससे कारण प्याज की पत्तियों का हरापन कम हो जाता है। अधिक प्रकोप की स्थिति में पत्तियों में हरापन (क्लोरोफिल) लगभग न के बराबर बचता है इस कारण पौधों की पत्तियॉं, प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करके भोजन बनाने  में असमर्थ हो जाती है। जिससे फसल कमजोर हो जाती  है। इस अवस्था में पौधों पर रोगों का आक्रमण भी आसानी से होने लगता है।
    साथ ही वैज्ञानिको ने कृषको को बताया कि मौसम में बार-बार बदलाव के कारण कीटों की संख्या वृद्वि हेतु अनूकुल वातावरण लंबे समय तक बना रहा है। जिससे कीटनाशकों के छिड़काव के पश्चात् भी पर्याप्त परिणाम प्राप्त नहीं हो पाया  है। इसलिये कृषक बन्धु प्याज की अनुशंसित किस्में ही खरीफ के दौरान रोपे,  जिसमें एग्री फाउण्ड डार्क रेड, भीमा सुपर, पुसा रेड एवं रबी मौसम में एग्री फाउण्ड लाईट रेड, एन.एच.आर.डी.एफ. रेड-3, 4, भीमा सफेद आदि नवीनतम अधिसूचीत किस्मे सम्मिलित है। साथ ही वैज्ञानिको ने उद्यानिकी विस्तार अधिकारियों को भी सलाह दी कि वे भी किसानो को उक्त प्याज वैरायटियों की जानकारी दे। जिससे किसान बन्धु प्याज फसल से अच्छा लाभ प्राप्त कर सके।


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