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कृषि सखी के रूप में श्रीमति पुष्पा कटारे सिखा रही है कम लागत में अधिक उत्पादन की खेती के गुर "कहानी सच्ची है"

कृषको को जैविक खेती हेतु कर रही है प्रोत्साहित










    यह कहानी है होशंगाबाद के ग्राम जासलपुर निवासी श्रीमति पुष्पा कटारे की जो राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन होशंगाबाद अंतर्गत गठित रविदास स्वसहायता समूह से जुड़कर कृषि सखी के रूप में कार्य कर रही हैं। श्रीमति कटारे द्वारा समूह से जुड़ी महिला कृषको को कम लागत में अधिक उत्पादन की खेती के तरीके बता रही है जिससे न केवल किसानो की आय में बढ़ोतरी हो रही है साथ ही किसान कीटनाशको का उपयोग कम कर जैविक खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
        श्रीमति कटारे 100 महिला किसानो के साथ जुड़कर सिस्टम आफ राईस इन्टेनसेफिकेशन एसआरआई पद्धति से फसल लगाना, भूनाडेप एवं वर्मी कम्पोस्ट बनवाना, आसपास उपलब्ध नीम, धतूरा, करंज, गौमूत्र इत्यादि से निर्मित जैविक कीटनाशक एवं जैविक टानिक का उपयोग करवाना इत्यादि के माध्यम से लागत कम करते हुए खेती को लाभ का धंधा बनाने के सार्थक प्रयास कर रही है। उनके द्वारा स्वसहायता समूह के सदस्यो के यहाँ 400 अजीविका पोषण वाटिका तैयार कराई गई है, जिससे उन्हें न केवल वर्ष भर ताजी हरी सब्जियाँ उपलब्ध हो रही है साथ ही उनके परिवार को भरपूर पोषण भी मिल रहा है।
        श्रीमति पुष्पा कटारे द्वारा जिले के अन्य विकासखंड के विभिन्न ग्रामो में जाकर 58 समूह सदस्यों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण देकर मशरूम की खेती प्रारंभ कराई गई है। श्रीमति कटारे मशरूम उत्पादन के प्रशिक्षण हेतु मास्टर ट्रेनर के रूप में कार्य कर रही है। स्वसहायता समूह के सदस्यों को मशरूम की खेती से प्रति सीजन लगभग 12 हजार रूपए की अतिरिक्त आय प्राप्त हो जाती है।
        श्रीमति पुष्पा कटारे बताती है कि आजीविका मिशन ने उनके आर्थिक और सामाजिक विकास हेतु उन्हें एक नई राह दी है। वे बताती है कि वे कीटनाशको के दुष्प्रभावो को कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा कृषको को जैविक खेती करने हेतु प्रोत्साहित करना चाहती है। साथ ही समूह सदस्यो को मशरूम की खेती से जोड़कर उन्हें अतिरिक्त आय का साधन प्रदान करना चाहती है।



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