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कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने मिर्च खेत का किया भ्रमण

    कृषि विज्ञान केन्द्र बड़वानी के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ एस. के. बड़ोदिया एवं  डॉ. डी. के जैन उद्यानिकी वैज्ञानिक द्वारा ग्राम सजवानी, रेहगुन एवं बड़वानी के समीपस्थ मिर्च फसल लेने वाले कृषकों के खेतों का भ्रमण किया गया। इस दौरान उन्होने कहीं-कही पर मिर्च में पर्ण कुंच/कुकड़ा रोग का सक्रमंण पाया है।
       इस दौरान वैज्ञानिक द्वय ने  किसानों को बताया कि मिर्च में पर्ण कुंचन/कुकड़ा एक विषाणु जनित रोग है। इस रोग के कारण मिर्च की पत्तियॉं छोटी होकर मुड़ जाती है। पत्तियों की षिराएं मोटी हो जाती है जिससे पत्तियॉं मोटी दिखाई पड़ती है। पौधों की बढ़वार रूक जाती है तथा पौधे झाड़ीनुमा दिखाई पड़ते है।  इसके साथ-साथ पौधों पर फल लगना कम हो जाते है व फल कुरूप हो जाते है। वर्षा में कमी एवं तापमान की अधिकता भी इस रोग को अनुकुलता देता है। इस विषाणु जनित रोग को सफेद मक्खी रोगग्रसित पौधों से दूसरे स्वस्थ पौधों में फैलाती है।
      इस दौरान कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को इस रोग से बचाव के लिये पौध की आयु 30-35 दिन होने पर ही  रोपण करने, फसल को रस चूसक कीटों से बचाव के लिए रोपाई के पूर्व पौध को इमिडाक्लोप्रीड 17.8 प्रतिषत एसएल 7 मिली प्रति लीटर पानी के घोल में 20 मिनट तक पौध की जड़ो को डुबाने के बाद खेत में रोपाई करने, मिर्च के खेतों के चारों ओर मक्का या ज्वार की दो-तीन कतारे कीट अवरोधक के लिए लगाने, खेत में रोग के प्रांरभिक लक्षण दिखने पर पर्णकंुचित पौधों को उखाड़कर मिर्च के खेत से दूर गढ्ढे में डालकर दबा देने, खेत में सफेद मक्खी की निगरानी के लिए पीले प्रपंच (चिपचिपे कार्ड) 10 प्रति एकड़ लगाये। इसके साथ ही खड़ी फसल में पर्ण कुंचन रोग से बचाव हेतु रोगग्रस्त पौधों को देखते ही खेत से उखाड़कर नष्ट करने, नीम तेल 3000 पीपीएम 3 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर 10 दिन के अन्तराल पर दो बार छिड़काव करने, मिर्च में लीफ कर्ल रोग की वाहक कीट सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए पायरीप्रॉक्सीफैन 10% ई.सी. 200 मिली प्रति एकड़ 120 लीटर पानी या फेनप्रोपेथ्रिन 30: ई.सी. 100-136 मिली प्रति एकड़ 300-400 पानी या पायरीप्रॉक्सीफैन 5%   फेनप्रोपेथ्रिन 15% ई.सी. 200-300 मिली प्रति एकड़ 200-300 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव 14 दिन के अंतराल पर अदल-बदल कर 2 बार फल बनने की अवस्था तक करने की सलाह दी।


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