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लेखनी व नर्मदा को अब सभी “बैंक सखी” कहकर बुलाते हैं “सफलता की कहानी”



    लेखनी शिवहरे व नर्मदा मौर्य अपने-अपने गाँव में अब “बैंक सखी” के नाम से जानी जाती हैं। इन्हें यह पहचान वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के लिये लागू किए गए लॉकडाउन के समय मिली। लॉकडाउन में जब सब कुछ बंद था तब ऐसे समय में ये दोनों महिलायें बैंक बनकर  लोगों के घरों तक पहुँचीं और गाँव की महिलाओं को बैंक की तरह धन मुहैया कराया
    राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्व-सहायता समूह से जुड़ीं श्रीमती लेखनी शिवहरे ग्वालियर जिले के ग्राम कल्याणी और श्रीमती नर्मदा मौर्य ग्राम समूदन में वीएलई (विलेज लेवल एंटरप्रोन्योर) के रूप में काम कर रही हैं। ये दोनों महिलायें अपने-अपने क्षेत्र के नागरिक सुविधा केन्द्र के माध्यम से ग्रामीणों को 100 से अधिक सेवायें मुहैया करा रही हैं। जिसमें रूपयों का लेन-देन, बिजली बिल भुगतान, आधार पंजीयन, फूड लायसेंस पंजीयन, आयुष्मान भारत कार्ड, प्रधानमंत्री जन-धन योजना, किसान क्रेडिट कार्ड इत्यादि सेवायें शामिल हैं। डिजी-पे के जरिए लेखनी व नर्मदा अब अपने गाँव की अन्य महिलाओं के खाते में पैसा जमा कराने व निकलवाने के काम को भी अंजाम दे रही हैं। हर माह लगभग 2 लाख रूपए का लेन-देन इन महिलाओं द्वारा कराया जा रहा है।
    ग्वालियर जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 82 महिलाओं को वीएलई के काम के लिये चिन्हित किया गया है। इनमें से 17 महिलाओ को प्रशिक्षित किया जा चुका है। जल्द ही ये महिलायें भी लेखनी और नर्मदा की तरह बैंक सखी की भूमिका में नजर आयेंगीं।
लेखनी शिवहरे व नर्मदा मौर्य ने निर्धारित परीक्षा उत्तीर्ण कर नागरिक सुविधा केन्द्र का प्रमाण-पत्र हासिल किया है। नागरिक सुविधा केन्द्र से जुडकर ये दोनों सफलतापूर्वक पुरूषों की तरह वीएलई का काम कर रही हैं। महिलाओं की कम संख्या के लिये जाने-जाने वाले ग्वालियर-चंबल अंचल में लेखनी व नर्मदा अन्य महिलाओं के लिये प्रेरणा स्त्रोत बनी हैं।



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