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दतिया |
कोरोना संक्रमण के कारण देश में लॉकडाउन के चलते जब रोजगार की लगभग सभी गतिविधियां बंद थीं, वहीं ग्रामीण अंचल में कार्यरत स्वसहायता समूह की महिलाएं उस विषम परिस्थिति में भी किसी न किसी स्वरोजगार के जरिए परिवार की आजीविका चला रही थीं।
इन्हीं महिलाओं में से एक हैं ग्राम धमना की रहने वाली छब्बीस वर्षीया श्रीमती अंजलि विश्वकर्मा, जिन्होंने अपने खेत में सब्जियां उगाकर तीन-चार सौ रूपये प्रतिदिन कमाकर लॉकडाउन जैसे विषम हालात में भी अपने परिवार की आजीविका चलाने का कमाल कर दिखाया। मध्य प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा गठित जमुना स्वसहायता समूह की अध्यक्ष अंजलि विश्वकर्मा ने अपने प्यासे खेत में सिंचाई के लिए अपनी अथक मेहनत और हौसले के बल पर अपने पति के साथ मिलकर सालभर के भीतर अपने खेत में कुआ खोद डाला था।
इसके बाद अंजलि ने समूह से कर्ज बतौर आठ हजार रूपये लेकर पांच हजार रूपये से कुए को पक्का करवा लिया। शेष तीन हजार रूपये से खाद-बीज लेकर खेत में भिण्डी, टमाटर, गोभी, बेगन, मिर्ची उगा ली। इसकी कमाई से उन्होंने एक मोटर भी खरीद ली। लॉकडाउन लागू हुआ, तो परिवार भविष्य हो लेकर आशंकित हो उठा। लेकिन इस विपदा में भी अंजलि ने हार नहीं मानी। अपनी सूझबूझ से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए उन्होंने गांव में ही सब्जी बेचना शुरू कर दिया। कई लोग उनके खेतों पर आकर सब्जी ले जाते थे। लॉकडाउन में भी अंजलि को पैसों की कमी नहीं रही। उन्हें सब्जियों से प्रतिदिन तीन-चार सौ रूपये की आमदनी होना मामूली बात थी। लॉकडाउन के दौरान भी परिवार की रोजी-रोटी अच्छी तरह चलती रही। आज भी उनके खेत में भिंडी, टमाटर, बेगन, मिर्ची आदि की फसल खड़ी है। अब वह धान की बुआई की तैयारी कर रहीं हैं।
अपने सब्जी व्यवसाय से उत्साहित अंजलि कहती हैं कि लॉकडाउन से परिवार को एकबार तो लगा था कि अब परिवार की आजीविका कैसे चलेगी? लेकिन ग्रामीण आजीविका मिशन की मदद से उगी फसल के कारण हालात ऐसे नहीं बन पाए और घर का खर्च अच्छी तरह चला। ‘‘ग्रामीण आजीविका मिशन की जिला परियोजना प्रबंधक श्रीमती संतमती खलको बताती हैं कि ग्रामीण महिलाओं को अलग-अलग तरह के स्वरोजगारों के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उनमें सब्जियां उगाना भी शामिल है। इसीलिए लॉकडाउन में भी अंजलि ने घर बैठे कमाई की और उनके परिवार को किसी तरह की आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ा।