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दतिया के नेपियर घास की बिहार, दिल्ली, उदयपुर, मैनपुरी तक प्रसिद्धि (सफलता की कहानी)

बहुआयामी कृषि ने एक सामान्य किसान को बना दिया करोड़पति-------


      मध्य प्रदेश के दतिया जिले के ग्राम गरेरा में दो हेक्टेयर रकबे वाले किसान श्री जशरथ सिंह यादव ने महज एक हेक्टयेर में जैविक खाद से गेहॅू, उड़द, मूंग, तिल, मूंगफली, सब्जी की जो पैदावार शुरू की, तो उससे उनकी जिंदगी की धारा बदल गई। इस जैविक खेती ने जशरथ सिंह को करोड़पति बना दिया और उनके खेतों के नेपियर घास की प्रसिद्वि का आलम यह है कि यह भोपाल, दिल्ली, बिहार, उदयपुर, मैनपुरी तक में धूम मचा रहा है।
    जशरथ ने किसानों के वास्ते कृषि को मुनाफे वाला व्यवसाय बनाने के लिए जैविक खाद से बहुआयामी रणनीति पर काम करते हुए कृषि के विभिन्न घटकों से मुनाफे का ऐसा ताना-बाना बुना कि उनका कृषि व्यवसाय दूसरों के लिए एक मॉडल बन गया है। इस रणनीति में कृषि के जितने अधिक घटक होंगे, उतने अधिक पैसों की बरसात होगी।
   जशरथ ने आत्मा परियोजना से अनुदान लेकर जैविक खेती की शुरूआत की। वह दो हेक्टेयर के रकबे में फैले फार्म में मंूगफली, उड़द, मूंग, मक्का, गेहॅू, सब्जी, तो उगाते ही हैं, साथ ही नीबू, केला, अमरूद, पपीता, आंवला की फसल भी लेते हैं। नेपियर घास, बिना कांटे की नागफनी भी उगाते हैं। वे अपने खेतों में अपने यहां तैयार की गई केंचुआ खाद एवं गोबर खाद ही डालते हैं। इससे उत्पादन तीन से चार गुना बढ़ गया है। उन्हें केंचुआ खाद से भी अच्छी कमाई हो रही है। उनके फार्म में एक गौशाला भी है, जिसमें दुग्ध उत्पादन से भी वह अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं।
    इस फार्म को पोषित करने में राज्य सरकार का योगदान भी कम नहीं हैं। उन्हें समय-समय पर तकनीकी मार्गदर्शन भी दिया गया। इस बहुआयामी कृषि ने जशरथ के जीवन में समृद्वि ला दी है। उन्होंने कृषि व्यवसाय की कमाई से बारह बीघा जमीन खरीद ली, शानदार मकान बनवा लिया, दो मोटर साइकिलें खरीद लीं, एक बेटी की शादी भी कर दी है। दूसरी बेटी की शादी की तैयारी कर रहे हैं तथा एक बेटी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है। जशरथ के लिए विविधतापूर्ण खेती कमाऊ धंधा बन गई है। यह जिले का ऐसा फार्म है, जहां कृषि के विविध रूप देखने को मिलते हैं। जशरथ की कामयाबी ने कई किसानों को विविधता पूर्ण कृषि के लिए प्रोत्साहित किया है।
    वास्तव में आज के समय में जैविक खेती के साथ बहुआयामों वाली कृषि ही फायदे का व्यवसाय है। अपने व्यवसाय से खुश जशरथ बताते हैं कि नौकरी में उतनी कमाई नहीं है, जितनी कमाई कृषि में है। वह कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए इसके विभिन्न घटकों के साथ ही कृषि करने पर जोर देते हैं। उनका कहना हैं कि ऐसी रणनीति होनी चाहिए कि बारहमासी फसल ली जाए।


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