डेयरी उद्योग ने जशरथ सिंह के यहां ला दी समृद्धि (सफलता की कहानी)
Mr. Suresh Prajapati (kolar ki dhadkan )--कोलार की धड़कन -Thursday, July 16, 20200
अब जागरूक किसान अपनी आय को दुगना करने के लिए खेती के साथ-साथ दुधारू पशुपालन अपनाने की बड़े पैमाने पर पहल कर रहे हैं। कई किसानों ने पिछले कई सालों के भीतर जिले में दुधारू पशुपालन कर अपनी आमदनी को बढ़ाने में सफलता प्राप्त की है। इन्हीं किसानों में से दो हेक्टेयर जमीन के मालिक गरेरा गांव के मेहनती किसान श्री जशरथ सिंह यादव हैं, जिन्होंने साबित कर दिखाया है कि सच्ची लगन से कोई भी कार्य किया जाए, तो सफलता अवश्य मिलती है। उन्होंने कुछ वर्ष पूर्व एन.एम.एस.ए. योजना एवं पशुपालन विभाग की 50 हजार रूपये की वित्तीय मदद से गायें एवं भैंसें ले ली थीं। आज उनकी गौशाला में चार साहिवाल, एच.एफ एवं जर्सी गायें हैं तथा चार मुर्रा एवं भदावरी भैंसें हैं। इस तहत जशरथ सिंह आय बढ़ाने के लिए खेती किसानी के साथ-साथ डेयरी उद्योग में स्थापित होकर आज घर बैठे दूध का व्यवसाय कर रहे हैं। उनके परिवार को पौष्टिक आहार के रूप में दूध-दही, घी खाने को अलग से मिल रहा है। वे हर महीने दूध से लगभग 36 हजार रूपये कमा रहे हैं। वह अब तक दूध व्यवसाय से लाखों रूपये की आमदनी प्राप्त कर चुके हैं। उनके घर में समृद्वि लाने में दुग्ध व्यवसाय का भी बहुत बड़ा योगदान है। पहले खेती के तौर पर इतनी आमदनी नहीं थी, वहीं आज अच्छी कमाई हो रही है। वह खुश हैं, क्योंकि कृषि आय के मुकाबले दुग्ध उत्पादक के बतौर दिन भर की रोजी अधिक है। वह पशु चारे के रूप में नेपियर घास और बगैर कांटों की नागफनी अपने खेतों में ही उगाते हैं। इसमें प्रोटीन अधिक होता है। जशरथ सिंह ने दूध के पैसे से काफी संपत्ति अर्जित कर ली है। वह उन्नत पशुपालन में पुरस्कार भी हासिल कर चुके हैं। वह कृषि के क्षेत्र में खंड स्तर से लेकर जिला स्तरीय, राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय स्तर के करीब 25 पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। काश्तकार के साथ-साथ उन्नत नस्ल की गायों एवं भैंसों से डेयरी उद्योग में जम चुके जशरथ सिंह कहते हैं, ‘‘ पहले दुग्ध व्यवसाय के मुकाबले कम आमदनी थी, लेकिन दूध के धंधे से जो कमाई हेा रही है, उतनी अकेले कृषि के किसी एक घटक से नहीं हेाती। दूध व्यवसाय से आर्थिक हालात बहुत अच्छे हो गए हैं। दुधारू पशुपालन फायदे का सौदा है।‘‘