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ग्रामीणों ने श्रमदान से बदली 100 साल पुराने तालाब की तस्वीर "कहानी सच्ची है"



      रायसेन तहसील के ग्राम कोटरा में ग्रामीणों ने श्रमदान से लगभग 100 साल पुराने तालाब की तकदीर बदल दी है। लगभग 50 ग्रामीणों ने 20 दिन तक श्रमदान कर तालाब की सफाई और गहरीकरण करते हुए तालाब को पुनर्जीवित कर दिया है, जिससे अब बारिश का पानी तालाब में भरने लगा है। कोरोना संकट के बीच श्रमदान करते हुए ग्रामीणों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने सहित अन्य सावधानियां भी बरती गईं। 
      जिला मुख्यालय के समीप स्थित ग्राम कोटरा में ग्रामीणों ने 100 साल पुराने तालाब का कायाकल्प करने का बीड़ा उठाते हुए सिर्फ 20 दिन के भीतर ही अपने श्रम से तालाब की तकदीर और तस्वीर बदल दी। श्री कन्हैयालाल रैकवार, वीर सिंह बघेल सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि तालाब का गहरीकरण नहीं होने के कारण तालाब में बारिश का पानी एकत्रित नहीं हो पाता था और बारिश के बाद तालाब सूख जाता था। तालाब में पानी सूखने से गांव के ट्यूबवेल, नलकूप भी सूख जाते थे। जिससे गांव में पानी का संकट उत्पन्न हो जाता था। पानी के संकट को दूर करने के लिए ग्रामीणों ने बारिश से पहले ही श्रमदान करते हुए तालाब के जीर्णोद्धार किया है। तालाब में बारिश का पानी एकत्रित होने से गांव में जलसंकट दूर हो रहा है तथा भूमिगत जल स्तर में भी वृद्धि हुई है। जिससे गांव के नलकूप, कुएं रीचार्ज होना शुरू हो गए हैं। साथ ही मवेशी और वन्यजीव जो पानी के लिए इधर-उधर भटकते रहते थे, उनके लिए भी पानी का इंतजाम हो गया है।



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