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>निधि की आंखों में सजा है कलेक्‍टर बनने का सपना (कहानी सच्‍ची है) - जबलपुर |



    माध्‍यमिक शिक्षा मण्‍डल भोपाल की दसवीं कक्षा में 91 प्रतिशत अंक अर्जित करने वाली निधि बर्मन भविष्‍य में कलेक्‍टर बनना चाहती है। निधि कहती है कि मेरे पापा पहली-दूसरी तक पढ़े हैं और माँ तो बिल्‍कुल भी नहीं पढ़ी-लिखी। फिर भी वो दोनों चाहते हैं कि मैं पढूँ और कुछ करके दिखाऊँ।
    निधि बर्मन ने बताया कि पहले उनके पिता रामलाल बर्मन छोटी-मोटी ठेकेदारी करते थे, लेकिन अब उनका स्‍वास्‍थ्‍य खराब रहता है तो मॉं सुलोचना बर्मन ग्‍वारीघाट पर पूजन सामग्री व दीयों की दुकान लगाती है। उन्‍हें दुकान से प्राय: 150 से 200 रूपये हर दिन मिल जाते हैं, इसी से घर का खर्चा चलता है। ब्रम्‍हर्षि बावरा नर्मदा विद्यापीठ की होनहार और प्रतिभावन छात्रा निधि ने भविष्‍य में पढ़ लिखकर अपने माता-पिता की तकलीफो को दूर करने और कलेक्‍टर बनने का सपना संजोया है। निधि मॉं का हाथ बंटाने खुद दो-तीन घंटे दुकान में बैठती है। निधि को गणित काफी पंसद है, इसलिये वो आगे गणित की ही पढ़ाई करने की इच्‍छुक है। निधि के घरेलू आर्थिक हालत ठीक नहीं होने की वजह से कोचिं‍ग क्‍लास नहीं की, बल्कि सेल्‍फ स्‍टडी कर 91 फीसदी अंक हासिल किया है।



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