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रूफ वाटर हार्वेस्टिंग का अनुपम उदाहरण है रायसेन का किला (कहानी सच्ची है)



    रायसेन दुर्ग का आठ सौ साल पुराना रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जल संरक्षण, जल प्रबंधन तथा निर्माण कौशल का अनुपम उदाहरण है।

आठ सौ साल पहले पानी के सदउपयोग, वर्षा जल के भडारण और संरक्षण के लिये रूफ वाटर हार्वेस्टिंग पद्धती का उपयोग अद्भुत और अनुकरणीय है। इस किले के रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से यह ज्ञात होता है कि उस वक्त शासक और आमजन पानी के प्रति कितने संदवेनशील और दूरदर्शी थे। लगभग 10 वर्ग किलोमीटर में फैला यह किला 11 वीं और बारहवी सताब्दी के मध्य बना है। विदेशी सैलानी भी रायसेन किले का रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम देखकर हतप्रभ रह जाते हैं और वे इसे जल संचय का दुनिया का सबसे अच्छा उदाहरण बताते हैं।
    वर्षा जल के भण्डारण के लिये किले पर 4 बड़े तालाब और 84 छोटे टांके है। सभी तालाब और टैंक सिर्फ बारिश के पानी से हमेशा लबालब रहा करते थे। किले में बने अलग-अलग महलों की छतों का पानी एक जगह जमा करने के लिए भूमिगत नालियां बनाई गई हैं। बारिश के दिनों में छत का पानी इन्हीं नालियों से होता हुआ तालाब, टांको और भूमिगत टैंकों में पहुंचता था। किले के चारों तालाब क्रमशः मदागन, धोबी, मोतिया और डोला-डोली तालाब सहित 84 टांके एवं रानी महल स्थित रानीताल वर्ष भर जल से भरे रहते थे। किले के प्रत्येक महल, निवास और भवन के नीचे मिले अवशेषों से ज्ञात होता है कि वहां जल संग्रह के लिये भूमिगत कुंड भी बने थे।
    जल संरक्षण के लिये दुनिया भर में पिछले तीन दशकों से लगातार काम किया जा रहा है। तेजी से गिरते भू-जल स्तर को रोकने, वर्षा जल का भण्डारण और पानी के अपव्यय, को रोकन के लिये अनेक देशों द्वारा बड़ी-बड़ी योजनाएं बना कर जल संरक्षण के लिये परंपरागत और नवीन तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। जल संरक्षण के तमाम उपायों के बाद भी आज दुनिया की अधिकांश आबादी भीषण पेयजल संकट से जूझ रही है। जल संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहे विशेषज्ञों द्वारा जल संकट के समाधान के लिये रूफ वाटर हार्वेस्टिंग और रैन वाटर हार्वेस्टिंग पद्धति को आज की महती आवश्यकता बताया गया है।



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