राष्ट्र निर्माण के लिए पढ़ना-लिखना जरूरी: श्रीमती पटेल
राज्यपाल ने किया राजभवन कर्मचारियों के 40 नवीन आवासों का लोकार्पण
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि बच्चों में असीमित क्षमता होती है। आवश्यकता उनकी शक्ति और कौशल को निखारकर अवसर देने की है। उन्होंने कहा कि राजभवन परिवार के सभी बच्चों के लिए कंप्यूटर शिक्षा, पुस्तकालय और रचनात्मक गतिविधियों के लिए व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने राजभवन के कर्मचारियों का आव्हान किया कि बच्चों में पुस्तक अध्ययन की आदत डालें। शनिवार और रविवार को हर बच्चा एक घंटा पुस्तक जरूर पढ़े। श्रीमती पटेल ने यह बात राजभवन स्थित सांदीपनि सभागार में राजभवन के कर्मचारियों के लिये निर्मित 40 कर्मचारी आवास लोकार्पण उपरांत कही। इस अवसर पर मंत्री लोक निर्माण विभाग श्री गोपाल भार्गव भी मौजूद थे।
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि बच्चों को अच्छे संस्कार, आचार-विचार देना माता-पिता की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि महापुरुषों ने जीवन में विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष करते हुए पढ़ने लिखने को प्राथमिकता देकर, अपने जीवन का निर्माण किया हैं। राष्ट्रनिर्माण के लिए पढ़ना लिखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि समाज और राष्ट्र को श्रेष्ठ बनाने के लिए जरूरी है कि जो जिस स्तर पर है, वह उसके निचले क्रम में व्यक्तियों के संबंध में विचार करें, उनके लिए चिंता और प्रयास करें। श्रीमती पटेल ने कहा कि राजभवन सबका है, इसीलिए मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश में आमजन के लिए राजभवन को खुलवाया है। उन्होंने बताया कि 'पढ़े भोपाल अभियान' में ढाई लाख लोगों ने भाग लिया था। उत्तरप्रदेश में इस प्रयास में अभी तक एक करोड़ से अधिक बच्चों ने पुस्तकों का अध्ययन किया है।
उन्होंने कहा कि राजभवन मध्यप्रदेश ने सर्वग्राही व्यवस्था का उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया है। विश्वास है कि शेष आवास भी तय समय सीमा में पूर्ण होंगे। उन्होंने सभी कर्मचारियों को बधाई देते हुए भवन नाम पट्टिकाओं में गृहणी का नाम भी लिखें जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि घर की सफाई महिला करती है। परिसर की सफाई, पौध रोपण और उनकी देखभाल की जिम्मेदारी परिवार के अन्य सदस्य उठाएं। उन्होंने कहा कि राजभवन केवल राज्यपाल का नहीं, उनका भी है। इसी भावना से जल, पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के कार्यों की जिम्मेदारी निभाएं। अच्छा पर्यावरण अच्छे स्वास्थ्य का आधार है।
लोक निर्माण, लघु एवं कुटीर उद्योगमंत्री श्री गोपाल भार्गव ने कहा दुनियाँ में अपने लिये तो सभी जीते है पर जो दूसरों के कष्टों की अनुभूति करके उनकी मदद करते है, वही बड़े होते है। वर्ष 1880 और 1905 में बने जर्जर आवास देखकर राजभवन की सेवा करने वालों के दर्द को समझ कर आवास बनवाना, राज्यपाल श्रीमती पटेल की संवेदन शीलता का परिचायक है। हर्ष की बात है कि जिनकी पहल पर मकानों का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ, उन्हीं के हाथों लोकापर्ण हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का पद सिर्फ शोभा बढ़ाने के लिये नहीं होता, राज्यपाल अपने संवैधानिक दायित्वों के साथ-साथ कार्यपालक दायित्वों का भी निर्वहन कर सकते है। श्रीमती पटेल ने ऐसा कर के दिखाया है। उन्होंने राज्यपाल को आश्वस्त किया कि प्रथम चरण के 40 मकानों का कार्य पूरा होने के बाद द्वितीय और फिर तृतीय चरण का शेष कार्य यथा शीघ्र उनके निर्देशों के अनुरूप पूरा किया जायेगा।
लोकार्पण अवसर पर राजभवन के कर्मचारियों की ओर से कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए आवास आवंटी श्री अशोक शर्मा ने कहा कि राज्यपाल राजभवन परिवार के कर्मचारियों के साथ-साथ उनके परिवारों के प्रति भी बेहद संवेदनशील है। उन्होंने बताया कि राजभवन के 30 वर्षों के सेवा काल में पहली बार कर्मचारियों के आवासों को देखने किसी राज्यपाल ने भ्रमण किया था। उन्होंने जर्जर आवास देखकर उनका दर्द समझा और बिना कहें कर्मचारियों की मनोकामना पूरी की है। उन्होंने राजभवन में ओपन जिम, पंचतंत्र वन, आयुर्वेदिक उद्यान, आयुर्वेद और होम्योपैथी उपचार की व्यवस्था राजभवन के कर्मचारियों के लिये कराने के लिए राज्यपाल का आभार माना।
लोकार्पण के पश्चात राज्यपाल श्रीमती पटेल ने लोक निर्माण मंत्री श्री गोपाल भार्गव एवं अधिकारियों ने बुन्देलखंड परिसर के आवास क्रमांक 2/4 का निरीक्षण किया।
कार्यक्रम में भवन निर्माण एजेन्सी के डायरेक्टर श्री अखिलेश अग्रवाल ने इस परियोजना के संबंध में प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि तीन चरणों में निर्मित इन भवनों में रूफवाटर हार्वेस्टिंग के साथ-साथ भूकंप रोधी व्यवस्थायें भी की गई है। कार्यक्रम का संचालन राजभवन नियंत्रक श्रीमती सुरभि तिवारी ने किया। आभार प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग श्री सी.पी. अग्रवाल ने व्यक्त किया।