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अभिनव नवाचारों के साथ सुपोषित मध्यप्रदेश की ओर बढ़ते कदम

पोषण अभियान भारत सरकार का एक महत्वकांक्षी अभियान है। अभियान में पोषण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इसे जन-आन्दोलन का स्वरूप देने पर विशेष जोर दिया गया है। इसके अन्तर्गत सितम्बर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जाता है। जिसमें समाज के सभी वर्ग को शामिल कर पोषण विषय को प्राथमिकता में लाने का प्रयास किया जा रहा है। पोषण माह के अन्तर्गत गुरूवार को मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने पोषण महोत्सव का शुभारंभ किया। मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा जहाँ पोषण नीति लागू की जायेगी। पोषण नीति स्वस्थ और निरोगी समाज की रचना करेगी। वर्ष 2030 तक कुपोषण के दुष्चक्र को तोड़ते हुए प्रदेश को कुपोषण मुक्त बनाने का लक्ष्य है आँगनवाड़ियों के व्यवस्थित संचालन के लिये प्रदेश में कई अभिनव नवाचार भी किये गये।


राज्य पोषण प्रबंधन रणनीति अन्तर्गत त्रि-स्तरीय कार्य योजना


सुपोषित मध्यप्रदेश के संकल्प के साथ महत्वकांक्षी पोषण अभियान के अन्तर्गत राज्य, प्रत्येक जिला एवं प्रत्येक ग्राम/शहरी वार्ड को पोषण प्रबंधन रणनीति के अंगीकरण पर जोर दिया गया है। इस त्रि-स्तरीय रणनीति में अल्प, मध्य एवं दीर्घकालीन लक्ष्य निर्धारण कर कार्ययोजना तैयार की गई है। राज्य पोषण प्रबंधन रणनीति के माध्यम से जन्म से 5 वर्ष की आयु के बच्चों में कम वजन 36 प्रतिशत का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार अति गंभीर कुपोषण बच्चों में 5 प्रतिशत, ठिगनापन 36 प्रतिशत, अति गंभीर कुपोषित बच्चों में 5 प्रतिशत, बच्चों में व्याप्त एनीमिया को 55 प्रतिशत, किशोरियों और महिलाओं में खून की कमी को 45 प्रतिशत तथा जन्म के समय कम वजन के दर में 6 प्रतिशत तक की कमी लाने के लिए वर्ष 2022 तक लक्ष्य निर्धारित किया गया है।


गंभीर कुपोषित बच्चों का समुदाय आधारित प्रबंधन


सुपोषित मध्यप्रदेश की अवधारण को मूर्त रूप देने के लिए सामाजिक योगदान एवं सहयोग आवश्यक है। समुदाय आधारित प्रबंधन के लिए पोषण माह के तहत सभी पंचायत, नगरीय निकायों में महिला-बाल विकास विभाग द्वारा सघन वजन अभियान का क्रियान्वयन किया जा रहा है। ऑगनवाड़ीवार अति गंभीर कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर उनकी सूची सभी पंचायतों को साझा की जायेगी। प्रदेश के सभी कुपोषित बच्चों को ऑगनवाड़ी केन्द्र स्तर पर प्रबंधन के दौरान पोष्टिक सुगंधित दूध प्रदाय किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा बच्चों के लिए मीठे दूध पावडर का वितरण राज्य स्तरीय पोषण महोत्सव कार्यक्रम से किया गया।


इसके अतिरिक्त हर गांव में अन्नपूर्णा पंचायत बनाई जायेगी। अन्नपूर्णा पंचायत के संकल्पना के अनुसार सामुदायिक स्तर पर खाद्य सामग्रियों यथा अनाज, फल, हरी सब्जियाँ आदि का संग्रहण कर उन्हें अति कम वजन एवं अति गंभीर कुपोषित बच्चों के परिवारों को प्रदाय किया जायेगा। इसमें पंचायत, नगरीय निकाय, स्व-सहायता समूह, स्कूल प्रबंधन समिति, वन प्रबंधन समिति आदि को जाड़ा जायेगा।


पोषण मटका एवं पोषण वाटिका


पोषण अभियान के अन्तर्गत प्रत्येक आँगनवाड़ी केन्द्रों पर पोषण मटका रखा जायेगा। इन मटकों में सक्षम परिवारों के सहयोग से फल, सब्जी, अनाज आदि एकत्रित कर कमजोर बच्चों एवं महिलाओं के पोषण स्तर को बढ़ाने के लिए इनका उपयोग किया जायेगा।


अभियान के तहत स्थानीय स्तर पर पोषण विविधता को बढ़ावा देने के लिए आँगनवाड़ी केन्द्रों, स्थानीय परिवारों एवं अन्य शासकीय भवनों में ''पोषण वाटिका'' का निर्माण किया जायेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण के स्तर को सुधारने के लिए आवश्यक है कि जन सामान्य को खाद्य विविधता और पोष्टिक तत्वों से अवगत कर जागरूक किया जाय। पोषण वाटिका के माध्यम से लोगों के समक्ष उनके दैनिक आहार में हरी सब्जियाँ, मौसमी फल आदि के उपयोग को बढ़ाये जाने के लिए प्रेरित किया जायेगा।


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