आदिम-जाति कल्याण विभाग में छात्रावासों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिये एकीकृत छात्रावास योजना शुरू की गई है। योजना के क्रियान्वयन से अब विभाग के छात्रावासों में बजट की राशि प्रति छात्रावास के मान से उनके बैंक खातों में पहुँच सकेगी।
विभाग द्वारा प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में 199 जूनियर छात्रावास, 979 सीनियर छात्रावास, 152 महाविद्यालयीन छात्रावास और 218 उत्कृष्ट छात्रावास संचालित किये जा रहे हैं। इन छात्रावासों में स्वीकृत सीटों की संख्या 81 हजार 804 है। पूर्व में प्रत्येक छात्रावास के लिये प्रत्येक योजना क्रमांक एवं व्यय के अन्य मद प्रचलित थे। इस व्यवस्था से छात्रावासों के बैंक खातों में राशि पहुँचने में अनावश्यक विलंब होता था। इन दिक्कतों को दूर करने के लिये इस वित्तीय वर्ष से विभाग एकीकृत छात्रावास योजना क्रमांक 9673 के नाम से परिवर्तित की गई है।
पूर्व में अलग-अलग छात्रावासों की व्यय राशि अलग-अलग शीर्ष में आती थी, जबकि राशि का उपयोग सभी छात्रावासों में एक ही था। एकीकृत छात्रावास योजना से पृथक-पृथक छात्रावासों में बजट की गणना, बजट का प्रावधान, स्वीकृति एवं देयकों के माध्यम से राशि का आहरण आदि कार्यों में सरलीकरण हुआ है। विभाग के सॉफ्टवेयर MPTAAS परियोजना के माध्यम से एक ही पूल एकाउंट में सभी राशियों का आहरण के बाद जमा किये जाने से छात्रावासों को सीधे बैंक खाते में राशि जारी किया जाना संभव हुआ है। आदिम-जाति कल्याण विभाग ने छात्रावासों का एकीकरण किये जाने के साथ ही छात्रावासों में विभिन्न वर्गों के विद्यार्थियों को प्रवेश देने के लिये नवीन नियम बनाये गये हैं, जिसमें अनुसूचित-जनजाति, अनुसूचित-जाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक कल्याण और घुमक्कड़ एवं अर्द्ध-घुमक्कड़ जाति के विद्यार्थियों को छात्रावासों में प्रवेश दिया जा सकेगा। इस नियम के बन जाने से छात्रावासों में रिक्त रहने वाली सभी सीटों को भी भरा जा सकेगा।