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निमोनिया जान लेवा हो सकता है, बच्चों को निमोनिया से बचायें

ठंड ने दस्तक दे दी है। ऐसे में शून्य से 5 वर्ष तक के बच्चों में निमोनिया के संक्रमण से बचाव के लिये सावधानियों को अपनाना बेहद आवश्यक है। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग द्वारा नागरिकों के लिये एडवाईजरी जारी की है कि निमोनिया जानलेवा हो सकता है। निमोनिया के उपचार में देरी बच्चे के लिये खतरनाक हो सकती है। बच्चों में बुखार, खांसी, श्वांस तेज चलना, पसली चलना अथवा पसली धसना निमोनिया के लक्षण हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर बच्चों को निमोनिया से उपचार के लिये तुरंत चिकित्सक अथवा निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र में ले जायें। सभी शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में शिशुओं को निमोनिया से बचाव में बेहद कारगर व्हैक्सीन पीसीव्ही भी निःशुल्क उपलब्ध है। अपने शिशुओं को डेढ़ साढ़े तीन एवं 9 माह में निमोनिया से बचाव हेतु पीसीव्ही व्हैक्सीन की पूर्ण डोज निःशुल्क अवश्य लगवायें। बच्चों को ठंड से बचाव के लिये अभिभावकों से आग्रह किया है कि बच्चों को दो-तीन परतों में गर्म कपडे पहनायें। ठंडी हवा से बचाव के लिये शिशु के कान को ढंके, तलुओं को ठण्डेपन से बचाव के लिये बच्चों को गर्म मोजे पहनायें। निमोनिया के उपचार के लिये आवश्यक औषधियां अस्पतालों में निःशुल्क उपलब्ध हैं। चिकित्सक के परामर्श अनुसार निमोनिया का पूर्ण उपचार आवश्यक रूप से लें और अपने बच्चों को सुरक्षित रखें। 


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