मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की समीक्षा
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि म.प्र. सरकार किसानों की हितैषी सरकार है। कृषि की उन्नति के लिये सिंचाई सुविधा का विस्तार आवश्यक है। सिंचित कृषि से किसान की आय बढ़ती है। अत: सिंचाई के लिए निर्माणाधीन परियोजनाओं को समय-सीमा में गुणवत्ता में किसी भी तरह का समझौता किये बिना पूरा किया जाये।
मुख्यमंत्री श्री चौहान नर्मदा घाटी विकास प्राधिकारण के अंतर्गत संचालित योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री श्री भारत सिंह कुशवाह, मुख्य सचिव एवं अध्यक्ष नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण श्री इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव एवं उपाध्यक्ष नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण श्री आई.सी.पी. केशरी और अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में सिंचाई सुविधा के विस्तार की परियोजनायें को पूरा करने में वित्तीय संसाधनों की कमी नहीं होने दी जाएगी। केन्द्र सरकार से प्राप्त होने वाली वित्तीय मदद समय पर प्राप्त की जाये। उन्होंने कहा कि वे स्वयं निर्माणाधीन परियोजनाओं का निरीक्षण करेंगे। बैठक में बताया गया कि सिंचाई परियोजना के विभिन्न चरणों के पूर्ण होने पर 19.82 एम.ए.एफ. नर्मदा जल का उपयोग करते हुये 39.41 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी।
पांच परियोजनाओं के कार्य पूर्ण
सिंचाई परियोजनाओं के कार्य प्राथमिकता से पूरे किये जा रहे हैं। वर्ष 2020 में पांच परियोजनाओं उज्जैन-देवास-उज्जैन पाईप लाइन, नर्मदा-मालवा गंभीर लिंक, हरसूद, अपर बेदा दांयी तट नहर और ओंकोरश्वर नहर चरण-4 का कार्य पूरा किया गया है।
निविदा आमंत्रण
बताया गया कि 22081 करोड़ लागत की 10 नवीन परियोजनाओं के लिये निविदा आमंत्रण के लिये कार्रवाई प्रचलन में है। प्रथम चरण में चिंकी-बोरास परियोजना तथा सांवेर परियोजना की निविदा लगाने के लिये अनुमति जारी हो गयी है। इन परियोजनाओं की लागत 7214 करोड़ है तथा प्रस्तावित सिंचाई क्षमता 2 लाख 12 हजार हेक्टेयर है।
कटनी जिले में स्लीमनाबाद सुरंग
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कटनी जिले में बरगी व्यपवर्तन परियोजना के अंतर्गत स्लीमनाबाद सुरंग के कार्यों की समीक्षा करते हुये कहा कि यदि टनल निर्माण में देरी हो रही हो तथा अड़चन हो तो योजना में संशोधन कर शीघ्र ही नागौद, सतना में तथा कटनी के बहोरीबंद आदि इलाकों में सिंचाई जल पहुंचाने की योजना पर कार्य किया जाये।
आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश अंतर्गत मध्य एवं दीर्घकालिक लक्ष्य
बताया गया कि वर्ष 2021-22 के लिये 16 परियोजनाओं पर कार्य प्रगति पर है। इनकी सिंचाई क्षमता 02 लाख 39 हजार हेक्टेयर है। इनकी अनुमानित लागत 4880 करोड़ है और 2873करोड़ रूपये व्यय हो चुके हैं। वर्ष 2022-23 की योजना में 10 परियोजनायें शामिल है। इनकी सिंचाई क्षमता चार लाख हेक्टेयर है। अनुमानित लागत 13 हजार 674 करोड़ रूपये है। अब तक 03 हजार 599 करोड़ रूपये खर्च हो चुके हैं। वर्ष 2023-24 की योजना में 6 परियोजनायें है। इनकी सिंचाई क्षमता 03 लाख 80 हजार हेक्टेयर है। अनुमानित लागत 15 हजार 171 करोड़ रूपये है। अभी तक 226 करोड़ रूपये व्यय हो चुके हैं। वर्ष 2023-24 के बाद की कार्ययोजना में 10 परियोजनाओं को शामिल किया गया है। इसके सिंचाई क्षमता पांच लाख 45 हजार हेक्टेयर है। इन परियोजनाओं से 225 मेगावॉट विद्युत उत्पादन प्रस्तावित है। अनुमानित लागत 22081 करोड़ रूपये है। इन परियोजनाओं के लिये एजेंसी निर्धारण की प्रक्रिया चल रही है।
राज्य मंत्री श्री कुशवाह ने कहा कि जो परियोजनायें पूर्ण हो गयी है। वहां जल उपभोक्ता समितियों का गठन किया जाये तथा कृषकों को सिंचाई के लिये जल उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाये। बैठक में पुनर्वास आदि मुद्दों पर चर्चा हुयी।