राज्य खाद्य प्रयोगशाला की क्षमता तीन गुनी बढ़ी
प्रयोगशाला में अब पेस्टीसाइड्स और मेटल्स के तत्वों की भी जाँचऔषधियों के परीक्षण के लिये 10 करोड़ की नई मशीनें लगेंगी
मध्यप्रदेश में खाद्य पदार्थों में पेस्टीसाइड्स की मात्रा और स्वास्थ्य के लिये घातक मेटल्स की मात्रा का परीक्षण राज्य खाद्य प्रयोगशाला में किया जाने लगा है। नव-निर्मित राज्य खाद्य प्रयोगशाला में यह पहल आधुनिक मशीनों के माध्यम से ऑनरेरियम पर अप्वाइंट किये गये छात्र-छात्राओं के माध्यम से की गयी है। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने आज ईदगाह हिल्स स्थित राज्य खाद्य प्रयोगशाला का निरीक्षण किया। स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. संजय गोयल और खाद्य सुरक्षा प्रशासन के अधिकारी साथ थे।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने मिलावट से मुक्ति अभियान की शुरूआत में अधिकारियों को निर्देश दिये थे कि नयी प्रयोगशाला में लगायी गयी आधुनिक मशीनों को उपयोग में लाया जाना प्रारंभ किया जाये। नियमित नियुक्तियों की प्रतीक्षा किये बगैर फ्रेशर स्टूडेंट को शॉर्ट-टर्म रिफ्रेशर कोर्स के माध्यम से प्रशिक्षित कर कार्य प्रारंभ किया जाये। विभाग द्वारा की गयी इस नयी पहल के सकारात्मक परिणाम सामने आये। अभियान के पहले एक माह में 700 नमूनों की जाँच करने वाली प्रयोगशाला में 2 हजार नमूनों की जाँच करने की क्षमता विकसित हुई और इससे अभियान के दौरान प्रयोगशाला में आने वाले नमूनों की जाँच समय अवधि के भीतर करने में कामयाबी प्राप्त हुई।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने बताया कि खाद्य पदार्थों में पेस्टीसाइड के माध्यम से घातक रसायनों और लेड, मैग्नीशियम आदि घातक मेटल्स की खाद्य पदार्थ में कितनी मात्रा है और इस मात्रा का स्तर किस प्रकार घातक है, इसकी जाँच अब आधुनिक मशीनों से राज्य खाद्य प्रयोगशाला में हो रही है। उन्होंने बताया कि 3 अति-संवेदनशील उपकरण आईसीपीएमएस, जीसीएमएस/एमएस, एलसीएमएस/एमएस, एफएसएसएआई की एसओएफटीईआई योजना में राज्य खाद्य प्रयोगशाला के चयन होने से प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि अभियान के दौरान 8 हजार से अधिक नमूने राज्य खाद्य प्रयोगशाला को प्राप्त हुए और इनमें से 5 हजार 411 नमूनों की जाँच रिपोर्ट जारी की गयी है। इनमें 500 से अधिक नमूने स्तरहीन पाये गये। उन्होंने बताया कि चलित खाद्य प्रयोगशाला द्वारा भी 24 हजार से अधिक नमूनों की जाँच की गयी है। मिलावट से मुक्ति अभियान में 65 हजार 536 सर्विलेंस नमूने लिये गये हैं। अभियान के दौरान मिलावटखोरों की 7 करोड़ कीमत की खाद्यान्न सामग्री जप्त की गयी और 28 मिलावटखोर माफियाओं के विरुद्ध एनएसए की कार्यवाही भी की गयी। मिलावट करने पर 204 मिलावटखोरों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किये गये। मिलावटी खाद्य सामग्री का विक्रय करने वाले 94 प्रतिष्ठानों को सील कर दिया गया। मिलावटखोरों पर लगभग 4 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। नवम्बर से शुरू अभियान में लगातार नमूनों के संकलन और जाँच करने में तेजी लायी जा रही है। जनवरी माह में सर्वाधिक 2 हजार 691 नमूनों की जाँच की गयी है। उन्होंने कहा कि आम नागरिकों के खाद्य पदार्थों की जाँच के लिये 9 चलित प्रयोगशाला संचालित की जा रही हैं। इन प्रयोगशालाओं में आम नागरिक मात्र 10 रुपये का शुल्क देकर खाद्य पदार्थ की जाँच करवा सकता है। हर जिले में तत्काल जाँच की सुविधा के लिये मैजिक बॉक्स उपलब्ध करवाये गये हैं। उन्होंने बताया कि राज्य खाद्य प्रयोगशाला में नमूनों की जाँच क्षमता बढ़ाने के लिये इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में आधुनिक प्रयोगशालाओं का निर्माण किया जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने बताया कि औषधि प्रयोगशाला को भी आधुनिक मशीनों से सुसज्जित किया जा रहा है। प्रयोगशाला में 10 करोड़ कीमत की मशीनें बहुत जल्दी लगायी जाने वाली हैं। निरीक्षण के बाद विभागीय अधिकारियों की बैठक में स्वास्थ्य मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि वह जिलों में पदस्थ अमले के कार्यों का मूल्यांकन अधिकारीवार करेंगे। अपने कर्त्तव्यों के प्रति सजग रहें। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि जनता को यह संदेश मिलना चाहिये कि मिलावटखोरों को सख्त से सख्त सजा दी जायेगी। ईमानदारी से व्यापार करने वालों के लिये कोई दिक्कत नहीं होना चाहिये। मिलावट से मुक्ति अभियान जनता के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिये है और यह तब तक जारी रहेगा, जब तक कि मिलावटखोरों को पूरी तरह से प्रदेश से समाप्त नहीं कर दिया जाता।