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जिले के किसानों को टिड्डी दल के प्रकोप से बचाव की सलाह - छिन्दवाड़ा |

कृषि विभाग द्वारा वर्तमान में टिड्डी दल के प्रकोप से बचाव के लिये सभी किसानों को सलाह दी गई है


कि वे अपने स्तर पर अपने-अपने गांव में समूह बनाकर रात्रिकालीन सतत निगरानी रखें। यदि टिड्डी दल के आक्रमण एवं पहचान की जानकारी मिलती है तो स्थानीय प्रशासन, कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केन्द्र से संपर्क कर जानकारी दें। यदि टिड्डी दल का प्रकोप दिखाई देता है तो सभी किसान टोली बनाकर विभिन्न तरह की परम्परागत उपाय जैसे ढोल, डीजे बजाकर, थाली, टीन के डिब्बे से शोर मचाकर, ट्रैक्टर का सायलेंसर निकालकर चलाकर, ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से आवाज कर खेतों से भगाया जा सकता है । टिड्डी दल के नियंत्रण के लिये क्लोरपाईरिफॉस 20 ईसी, डेल्टामोथ्रिन 2.8 ईसी, डिफ्लूबेंजुरॉन 25 डब्ल्यू.पी. या मेलाथियान 25 ईसी कीटनाशक दवा में से कोई एक दवा प्रति लीटर मात्रा को 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

      उप संचालक कृषि श्री जे.आर.हेड़ाऊ ने बताया कि जिले के विकासखंड अमरवाड़ा के ग्राम हरनभटा व सेजा, विकासखंड हर्रई के ग्राम भूमका व बिछुआ, विकासखंड परासिया के ग्राम लिखावाड़ी और विकासखंड सौंसर के ग्राम जाम में टिड्डी दल पर दवाईयों का स्प्रे कर नियंत्रित किया गया है और टिड्डी दल के मूवमेंट पर लगातार नजर रखी जा रही है। किसानों को जागरूक कर टिड्डी दल को खेतों में बैठने नहीं दिया जा रहा है । यदि खेतों में टिड्डी दल बैठता है तो उसे भगाये जाने और नियंत्रण की सलाह दी जा रही है । जिले के कृषकों के जागरूक होने से टिड्डी दल अभी तक फसलों को नुकसान नहीं पहुंचा पाया है । यदि कहीं से फसलों के नुकसान की जानकारी मिलती है तो विभाग के मैदानी अमले से इसका आकलन कराया जायेगा । किसानों से अपील की गई है कि वे सचेत रहे व टिड्डी दल देखे जाने पर तत्काल उसके नियंत्रण व रोकथाम के उपाय अपनायें । अधिक जानकारी के लिये विभाग के मैदानी अमले वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, बी.टी.एम., ए.टी.एम. आदि से संपर्क करें ।


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