कोविड-19 के दृष्टिगत ऑनलाइन होंगे आयोजन
राज्य आनंद संस्थान इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को जैव-विविधता संरक्षण पर जन-जागरूकता बढ़ाने की पहल करेगा। इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ’टाईम फॉर नेचर’ है, जो जैव-विविधता के संरक्षण पर केन्द्रित है। इसका उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इस दिशा में जन-सामान्य को प्रेरित करना है। संचालक राज्य आनंद संस्थान श्रीमती नुशरत मंहेदी ने बतायाकि संस्थान के सभी आनंदक कोविड-19 से संबंधित सावधानियों को ध्यान में रख स्वैच्छिक प्रयासों से जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करेंगे। आनंदक उत्प्रेरक की भूमिका में रहेंगे।
राज्य आनंद संस्थान संचालक ने बताया कि कोविड-19 ने जहां एक ओर दुनिया भर में कई विकट चुनौतियां पैदा की हैं, वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक सौंदर्य के अद्भुत व जीवंत नजारे भी देखने को मिल रहे हैं। पर्यावरण ने सकारात्मक करवट ली है। पर्यावरणीय समस्या का यह अल्पकालिक सुधार स्थायी समाधान नहीं है। किसी भी महामारी के फौरन बाद आर्थिक विकास की रफ्तार को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का बड़े पैमाने को ध्यान में रख मानव, प्रकृति और आर्थिक विकास के अंतर्संबंधों को नए सिरे से परिभाषित करने की आवश्यकता होती है।
राज्य आनंद संस्थान संचालक ने बताया कि ’टाईम फॉर नेचर’ जैव-विविधता के संरक्षण पर केन्द्रित कार्यक्रमों की सभी आनंदक अपनी स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर योजना बना सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता अभियान के लिए एसएमएस, फेसबुक, ट्विटर, ईमेल के जरिये लोगों को जागरूक किये जाने के लिए कहा गया है। लोग सोशल एवं डिजिटल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर जाकर संकल्प लें कि भविष्य में वे कम से कम अपने घर और आसपास के पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के प्रयास करेंगे। रीसाइकलिंग, सौर ऊर्जा, बायो गैस, बायो खाद, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग जैसी तकनीक अपनाने पर बल दें। जहां सम्भव हो पौधारोपण, स्वच्छता अभियान, पेंटिंग, वाद-विवाद, निबंध-लेखन जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित कर सकते हैं।
’ऑनलाइन आयोजन’
राज्य आनंद संस्थान संचालक ने बताया कि कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन किया जा सकता है। इसमें एसएमएस, फेसबुक, ट्विटर, ईमेल का समावेश करते हुए यू ट्यूब एवं सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों पर परिचर्चा, संवाद एवं व्याख्यान आदि का आयोजन किया जा सकता है। संचालक ने कहा कि जैव विविधता के संरक्षण के लिए हमें अपने स्वयं के हित में मानसिकता विकसित करनी होगी। इसके लिये हमारे दिन प्रतिदिन के प्रयास ही जैव विविधता को संरक्षित कर सकते हैं। इसके साथ ही वनों का पौधों का, पेड़ों का विनाश रोकना, अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना और व उससे भी महत्वपूर्ण उनका संरक्षण करना है। उपलब्ध जल संसाधनों का किफायती उपयोग, मरूस्थलीय क्षेत्रों को सिचिंत कर उन्हें उपजाऊ व हरा-भरा बनाने के प्रयास, खदानों के अनियंत्रित खनन पर पाबंदी, कृषि भूमि का उपयोग रोटेश्नल फसल लगाकर करने, खनिज के किफायती उपयोग के संबंध में जागरूकता बढ़ाना है। जल के महत्व को समझाते हुए नदियों व जलाशयों में विषैले रासायनिक पदार्थो का मिलना आदि विषय एवं कार्यक्रम शामिल किये जा सकते हैं। सभी प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को समझ उनके संरक्षण की मानसिकता विकसित हो सकें। स्थान के डिप्लॉएड/मास्टर ट्रेनर/आनंदम सहयोगी एवं आनन्दको द्वारा कार्यक्रमों में पर्यावरणविद, विद्यार्थी, स्वैच्छिक संस्थाएं, युवा वर्ग, काउंसलर, समाजसेवी, मोटिवेशनल स्पीकर्स, शिक्षाविद, विचारक, बुद्धिजीवी वर्ग को ऑनलाइन सहभागिता हेतु प्रेरित किया जा सकेगा। कार्यक्रम में ऑनलाइन संगोष्ठी अथवा विमर्श के माध्यम से वक्ता अपने विचार और सुझाव शेयर कर सकते हैं।