सहायक संचालक डॉ श्रीवास्तव ने मछुआरा दिवस के बारे में बताया कि 10 जुलाई 1957 को डॉ हीरालाल चौधरी द्वारा सीआईएफए भुवनेश्वर में पहली बार मछली का सफलतापूर्वक प्रजनन कराया गया। यह ऐसा उल्लेखनीय कार्य था जिससे मछलीपालन के क्षेत्र में एक नई क्रांति आई और हम वांछित आकार, प्रकार का मत्स्य बीज आवश्यकतानुसार उत्पादित करने में सक्षम हो सके। जिले को मत्स्यबीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास में निजी मत्स्य बीज प्रक्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सीआईएफआरआई बैरकपुर द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार 136 प्रजातियों की मछलियां प्रदेश के विभिन्न जलक्षेत्रों में उपलब्ध हैं। मछलीपालन दूरस्थ अंचलों में निवासरत आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े मछुओं की आय का प्रमुख स्त्रोत हैं, जो रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ पोष्टिक आहार उपलब्ध कराकर कुपोषण के उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मछुआरों के आर्थिक एवं सामाजिक उन्नति के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि योजना के तहत ऋण पर आरक्षित वर्ग के लोगो को 60 प्रतिशत एवं सामान्य वर्ग के लोगो को 40 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। योजना के तहत मत्स्य कोल्ड स्टोरेज के निर्माण, आरएएस/बायो प्लाक्स की स्थापना, मत्स्य बीज उत्पादन हेतु नई हेचरी की स्थापना करना, रंगीन मछली के ब्रीडिंग एवं रियरिंग की इकाई की स्थापना, रेफ्रिजेरेटेड वाहन, इन्सुलेटेड वाहन, फिश फीड मिल प्लांट, मछली क्योस्क का निर्माण, नवीन तालाब निर्माण, नवीन मत्स्य बीज संवर्धन एवं रियरिंग पोखर तालाब का निर्माण, मिश्रित मत्स्य पालन, मछली बिक्री हेतु ई रिक्शा, नाव एवं जाल जलाशयों में केज कल्चर की स्थापना सहित मत्स्यपालन संबंधी अन्य गतिविधियों के लिए ऋण प्रदान किया जाता है। कार्यक्रम में मत्स्य पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड के संबंध में भी जानकारी दी गई। |
राष्ट्रीय मछुआरा दिवस पर कार्यक्रम आयोजित - रायसेन
Friday, July 10, 2020
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