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जन-जातीय क्षेत्रों में संचालित शिक्षण संस्थाओं में स्टाफ की पर्याप्त व्यवस्था हो

 जन-जातीय कार्य मंत्री सुश्री मीना सिंह ने मंत्रालय में की योजनाओं की समीक्षा----

जन-जातीय कार्य एवं अनुसूचित-जाति कल्याण मंत्री सुश्री मीना सिंह ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि जन-जातीय क्षेत्रों में संचालित शिक्षण संस्थाओं में स्टाफ की पर्याप्त व्यवस्था की जाये। उन्होंने शिक्षण कार्य से जुड़े स्टाफ के प्रशासनिक कार्यों के लिये किये गये अटेचमेंट के संबंध में भी जानकारी प्राप्त की। मंत्री सुश्री मीना सिंह आज मंत्रालय में अधिकारियों की बैठक में विभागीय योजनाओं की समीक्षा कर रही थीं।

जन-जातीय कार्य मंत्री ने बैठक में जन-जातीय कल्याण विभाग की बस्ती विकास योजना में अधोसंरचना से जुड़े कामों को जल्द मंजूर कर शुरू किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि इन कार्यों की मंजूरी के पहले स्थानीय जन-प्रतिनिधियों से राय ले ली जाये। बैठक में यह भी निर्देश दिये गये कि विशेष केन्द्रीय सहायता मद में रोजगार मूलक प्रशिक्षण के लिये प्रतिष्ठित संस्थाओं से एमओयू किया जाये। प्रशिक्षण में उन ट्रेडों का चयन किया जाये, जिनके माध्यम से अनुसूचित-जाति एवं जन-जातीय वर्ग के युवाओं को रोजगार दिलाया जा सके। बैठक में आकाँक्षा योजना के क्रियान्वयन पर भी चर्चा की गई। निर्देश दिये गये कि राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में विद्यार्थियों की सफलता के लिये प्रतिष्ठित कोंचिंग इन्स्टीट्यूट का इम्पैनेलमेन्ट किया जाये।

बैठक में एकलव्य आवासीय विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्तियाँ, स्थानांतरण, नवीन आवास छात्रावास खोलने एवं विभागीय बजट की उपलब्धता के संबंध में भी चर्चा की गई।

जन-जातीय कार्य मंत्री को भेंट की गई ट्रॉफी

प्रमुख सचिव श्रीमती पल्लवी जैन गोविल, आयुक्त जन-जातीय कार्य श्री संजीव सिंह और विभागीय अधिकारियों ने जन-जातीय कार्य मंत्री सुश्री मीना सिंह को ट्रॉफी एवं प्रशस्ति-पत्र भेंट किये। इस वर्ष के भोपाल के लाल परेड ग्राउण्ड में आयोजित राज्य-स्तरीय गणतंत्र दिवस समारोह में जन-जातीय कार्य विभाग की झाँकी को योजनाओं के श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिये प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है।

जन-जातीय कार्य विभाग की झाँकी के अग्रभाग में आर्थिक सशक्तिकरण स्व-रोजगार की दिशा में नये कदम के अंतर्गत लघु कारखाने में सामान बनाते हुए जन-जातीय व्यक्ति को दर्शाया गया था। झाँकी के द्वितीय भाग में विभिन्न पाठ्यक्रम में जन-जातीय संस्कृति और भाषाओं का समावेश करते हुए किताब के साथ दर्शाया गया था। झाँकी में एकलव्य स्कूल का परिदृश्य भी था। झाँकी के मध्य भाग में बाँस उद्योग को रेखांकित किया गया था, जिसमें महिला को बाँस की टोकरी बनाते हुए दिखाया गया था। झाँकी के अंतिम भाग में पढ़ें और आगे बढ़ें-नये आसमान को छुएँ, विदेश अध्ययन के लिये छात्रवृत्ति का प्रदाय, जिसमें विदेश अध्ययन के लिये जाने वाले छात्रों को दिखाया गया था। 

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