प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ है जीवन देना। इसका उपयोग धार्मिक संदर्भ में सनातन धर्म में पूजा स्थल पर मूर्ति स्थापित करते समय किया जाता है। जिस भगवान की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। उसे गंगा जल व पवित्र नदी से जल से स्नान करवाया जाता है।
प्राण प्रतिष्ठा क्या है?प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ है जीवन देना। इसका उपयोग धार्मिक संदर्भ में सनातन धर्म में पूजा स्थल पर मूर्ति स्थापित करते समय किया जाता है। प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ वेदों और पुराणों में स्थापित अनुष्ठानों के माध्यम से एक प्रतिमा को देवता में बदलना है।
जिस भगवान की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। उसे गंगा जल व पवित्र नदी से जल से स्नान करवाया जाता है। फिर साफ कपड़े से मूर्ति को पोछते हैं। प्रतिमा को नवीन वस्त्र धारण करवाते हैं। मूर्ति को आसन पर विराजमान करके चंदन का लेप लगाया जाता है। इसके बाद विधिवत श्रृंगार होता है। मंत्रोचार के बाद प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। प्राण प्रतिष्ठा के पहले दिन मूर्ति का नगर में विधिवत यात्रा करवाई जाती है। भगवान को भोग लगाया जाता है।
प्राण प्रतिष्ठा का महत्व
प्राण प्रतिष्ठा के बिना मूर्ति की पूजा नहीं होती है। जिस देवी-देवता की प्राण प्रतिष्ठा होती है। वह आवतारिक स्वरूप हो जाता है। यह भगवान के साकार स्वरूप की आराधना का श्रेष्ठ तरीका है। मंदिरों में भगवान की मूर्ति स्थापित करने से पहले उसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। कहते हैं कि ऐसा मूर्ति में प्राण आ जाते हैं। वह पूज्यनीय हो जाती है।
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त और दर्शन का समय
प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को दोपहर 12.15 से 12.45 बजे के बीच होगा। भक्त सुबह 7 बजे से 11.30 बजे तक और दोपहर 2 बजे से शाम 7 बजे तक रामलला के दर्शन कर सकेंगे।
राम मंदिर आरती का समय
आरती दिन में तीन बार की जाएगी। सुबह 6.30 बजे श्रृंगार आरती, दोपहर 12 बजे भोग आरती और शाम 7.30 बजे संध्या आरती होगी।