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लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के स्मरण मात्र से मन गर्व और श्रद्धा से भर जाता है : उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल

 लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म जयंती पर संगोष्ठी

उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर में सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की भावना थी। उनके चरित्र के स्मरण मात्र से मन गर्व और श्रद्धा से भर जाता है। उनके द्वारा किए गए जन कल्याणकारी कार्य सर्वदा याद किए जाते रहेंगे। लोकमाता के चरित्र का अनुसरण करने से व्यक्ति के मन में जो संस्कार आएंगे उससे वह वैसा ही व्यवहार करेगा और भारत को विश्वगुरू बनाने का संकल्प पूरा होगा। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा में संगोष्ठी में शामिल हुए। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने माँ सरस्वती एवं लोकमाता अहिल्याबाई के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन कर संगोष्ठी का शुभारंभ किया।

शासक से सुशासक बनकर राजमाता बनीं लोकमाता

उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि कृतज्ञ देश लोकमाता अहिल्याबाई का पुण्य स्मरण कर रहा है। उनकी न्यायपूर्ण शासन व्यवस्था, कौशल व धार्मिक प्रवृत्ति का लोहा सम्पूर्ण विश्व मानता है। स्टीवन गार्डन ने लोकमाता के बारे में अपनी राय देते हुए लिखा है कि वह न्यायप्रिय सुशासन व धर्म परायण शासक थीं। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई ने सोमनाथ, काशी विश्वनाथ सहित अनेक ज्योतिर्लिंगों के मंदिरों के जीर्णोद्धार का कार्य कर सनातन को दृढ़ता दी, जिससे हमारा देश मजबूत हुआ। उन्होंने धर्म की ध्वजा को सामने रखकर आंतरिक सुरक्षा को भी मजबूत किया। घाटों का निर्माण कराकर जल संरक्षण का संदेश दिया। शासक से सुशासक बनकर राजमाता लोकमाता बनीं।

उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारे देश में राजमाता के विचारों का अनुसरण कर देश को समृद्धशाली बनाने का कार्य किया जा रहा है। आर्थिक समृद्धि के साथ कृषि के क्षेत्र में समृद्धशाली बनकर आज हम विश्व की चौथी सबसे बड़ी इकॉनामी के तौर पर स्थापित हुए हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी समर्पण भाव से देश के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर के द्वारा हमने अपनी आंतरिक सुरक्षा का भी लोहा मनवाया है। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने आह्वान किया कि लोकमाता द्वारा स्थापित मापदण्डों को आत्मसात करें और 300 वर्ष पूर्व एक वीरांगना नारी द्वारा स्थापित मापदण्डों का स्मरण करें। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. राजेन्द्र कुड़रिया, कुलसचिव श्री सुरेन्द्र सिंह परिहार, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती नीता कोल सहित विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, आचार्यगण, प्राध्यापक, छात्र-छात्राएं तथा प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।

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