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मिज़ोरम के बाद नागालैंड में कुत्ते के मांस पर लगा प्रतिबंध, क्या कहते है लोग?

नागालैंड सरकार की कैबिनेट ने कुत्तों के मांस पर व्यावसायिक आयात और व्यापार पर प्रतिबंध लगाने का फै़सला किया है. मुख्यमंत्री नेफ़्यू रियो की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की एक अहम बैठक में कुत्ते के मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही प्रदेश में कुत्तों के बाज़ारों को पूरी तरह बंद करने का निर्णय लिया गया है.


नागालैंड के मुख्य सचिव तेमजन टॉय ने शुक्रवार को एक ट्वीट कर इस बात की पुष्टी करते हुए कहा, "राज्य सरकार ने कुत्तों के बाज़ार और कुत्तों के वाणिज्यिक आयात और बिक्री पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही कुत्तों के कच्चे और पके मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है."


इससे पहले इस साल मार्च में पूर्वोत्तर राज्य मिज़ोरम ने पशुओं की स्लॉटरिंग यानी वध के लिए उपयुक्त जानवरों की परिभाषा से कुत्तों को हटाने से जुड़े कानून में संशोधन किया था. इसके बाद अब नगालैंड सरकार ने यह कदम उठाया है.


दरअसल नागालैंड और मिज़ोरम में कुत्ते का मांस बेचने का यह मुद्दा काफी पुराना है लेकिन फे़डरेशन ऑफ़ इंडिया एनिमल प्रोटेक्शन आर्गेनाईजे़शन ने नागालैंड सरकार से तत्काल कार्रवाई करने के लिए गुरुवार को अपील की थी जिसके बाद से ये मुद्दा फिर से सुर्खियों में आ गया.


नागालैंड में कुत्ते की मांस की बिक्री, तस्करी और खपत पर प्रतिबंध लगाने के लिए फे़डरेशन ऑफ़ इंडिया एनिमल प्रोटेक्शन आर्गेनाईजे़शन की कानूनी प्रबंधक वर्णिका सिंह ने मुख्यमंत्री नेफ़्यू रियो को तत्काल कार्रवाई के लिए एक पत्र लिखा था.


उन्होंने अपने पत्र में लिखा था,"हमने नागालैंड के दीमापुर में 'पशु बाज़ारों' की हालिया तस्वीरों को देखा है जिसके कारण हमें एक बार फिर से आघात पहुंचा हैं. अवैध व्यापार के लिए बोरियों में बांधकर इस वेट मार्केट में लाए गए कुत्तों को भयानक परिस्थितियों रखा जा रहा है जो देखा जा सकता है."


पशु संरक्षण के काम में जुटे इस संगठन का कहना था कि नागालैंड में कुत्ते के मांस का व्यापार पूरी तरह से अवैध है और भारतीय दंड संहिता 1860 जैसे विभिन्न क़ानूनों का पूरी तरह से उल्लंघन है.


आर्गेनाईजे़शन की मानें तो कुत्तों को पकड़ना और उनका मांस खाना कई बार लोगों के लिए रेबीज़ (जलांतक रोग) जैसी बीमारी की जोख़िम पैदा कर देता है क्योंकि यह रोग न केवल कुत्ते के काटने से फैल सकता है, बल्कि संक्रमित मांस को छूने और खाने से भी फैल सकता है.


इसके अलावा लोकसभा सांसद मेनका गांधी ने 30 जून को पीपल्स फ़ॉर एनिमल्स के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लोगों से नागालैंड के मुख्य सचिव को ईमेल करने का अनुरोध करते हुए राज्य में "कुत्तों के बाज़ारों और कुत्तों के मांस" पर रोक लगाने की बात कही थी.


हालांकि, ईसाई बहुल इन राज्यों में कुत्ते के मांस को लोग चिकन और मटन की तरह स्वादिष्ट भोजन के तौर पर नियमित खाते आ रहें है.


नागालैंड की जनजातियों में कुत्ते के मांस खाने का रिवाज़ सैकड़ों साल पुराना है. नागालैंड के सबसे बड़े शहर दीमापुर के सुपर मार्केट में बुधवार के दिन कुत्ते का मांस खुलेआम बेचा जाता रहा है.


दीमापुर के रहने वाले कैसी माओ सालों से दीमापुर के सुपर मार्केट से कुत्ते का मांस खरीदते आ रहे हैं. कुत्ते के मांस पर प्रतिबंध लगाने के सवाल पर वो कहते है, "नागालैंड में 17 प्रमुख जनजातियां है और लगभग हर जनजाति में कुत्ते का मांस खाने का पुराना चलन रहा है. देश के अन्य हिस्सों में जैसे लोग मटन और मुर्गी का मीट खाते है, यह ठीक हमारे लिए उसी तरह है."


वो कहते है, "पहले सप्ताह में एक बार हमारे परिवार में राजा मिर्ची (पूर्वोत्तर में उगाई जाने वाली सबसे तीखी मिर्च) के साथ कुत्ते का मांस बन जाता था. लेकिन अभी कुछ महीनों से हमने नहीं खाया है. इसकी एक वजह यह है कि हम स्थानीय नस्ल का कुत्ता ज्यादा पसंद करते है और दीमापुर के मार्केट में ज्यादातर कुत्ते असम से लाए जाते है."


क्या नागालैंड में कुत्ते का मांस खाने के पीछे और भी कोई कहानी है?


इस सवाल का जवाब देते हुए कैसी माओ कहते है, "नागालैंड में कुत्ते के मांस को काफी पौष्टिक माना जाता है. यहां कुछ लोगों का कहना है कि कुत्ते का मांस यौन शक्ति को बढ़ाता है. लिहाजा इन मान्यताओं के कारण यहां काफी लोग कुत्ते का मांस खाते आ रहें है."


नागालैंड की राजधानी कोहिमा में रहने वाले नोथो थापरू ने कुत्ते के मांस पर प्रतिबंध को लेकर सरकार के इस फै़सले के बाद अपने फे़सबुक पर लिखा, "एक अच्छा कारण दें कि कुत्ते के मांस को क्यों प्रतिबंधित किया जाना चाहिए?"


दीमापुर के रहने वाले मंचोंग अवेन्नोहो ने अपनी प्रतिक्रिया में लिखा, "जो भी हुआ है, हम इसके माध्यम से क्या हासिल करेंगे, कुत्ते का मांस इस राजनीति और पार्टी के इतिहास से बहुत पहले से यहां के लोग कुत्ते का मांस खाते रहे हैं."


गुवाहाटी में पीपल फ़ॉर एनिमल्स नामक गैर सरकारी संगठन की अध्यक्ष संगीता गोस्वामी नगालैंड में कुत्ते के मांस खाने को लेकर दिए जा रहें तर्कों को अमानवीय और कल्पना बताती हैं.


लंबे समय से मिज़ोरम और नागालैंड में कुत्तों के मांस पर प्रतिबंध लगाने की मांग करती आ रही संगीता गोस्वामी ने बीबीसी से कहा, "कुत्ते का मांस एक अधिसूचित भोजन का आइटम नहीं है. लिहाज़ा ये शुरू से गै़र-कानूनी माना जाता रहा है लेकिन नागालैंड में खुलेआम कुत्ते का मांस बेचा जा रहा था. हमारी संस्था ने मिज़ोरम में कुत्ते का मांस बेचने वाली 28 दूकानें बंद करवाई थी. हालात ऐसे थे कि गुवाहाटी में स्थित मिज़ोरम भवन के मेन्यू तक में कुत्ते का मांस परोसा जा रहा था. लेकिन अब मिज़ोरम में खुलेआम कुत्ते का मांस नहीं बेचा जाता. मिज़ोरम सरकार ने भी जरूरी कदम उठाए है."


नागालैंड सरकार द्वारा कुत्ते के अवैध व्यापार और कुत्ते के मांस की बिक्री पर रोक लगाने के फैसले का स्वागत करते हुए संगीता गोस्वामी ने कहा "असम से लावारिस कुत्तों को नागालैंड में अवैध तरीके से बेचने का यह कारोबार अब बंद होगा. असम से ख़ासकर गोलाघाट जिले से कुछ लोग बड़े अमानवीय तरीके से कुत्तों को मुंह और पैर से बांधकर बोरियों में भरकर नागालैंड बेचने के लिए ले जाते हैं. इन कुत्तों के मुंह रस्सी से बांध दिए जाते हैं ताकि वे भौंक न सकें. इस तरह रास्ते में दम घुटने से कई बार उनकी की मौत हो जाती है. "


"एक कुत्ते के एवज में इन लोगों को महज सौ से डेढ़ सौ रुपए मिलता है जबकि नागालैंड में इनको खरीदने वाले वहां 300 रुपए किलो मांस बेचते है. इस तरह वे लोग एक कुत्ते को बेचकर 1500 रुपए से अधिक कमा लेते है. हमने पुलिस की मदद से में कुत्तों का अवैध कारोबार करने वाले असम के कई लोगों को पकड़ा है. अब नागालैंड सरकार को ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करनी होगी."


ह्युमन सोसाइटी इंटरनेशनल (एचएसआई) ने भी भारत में कुत्तों के मांस के व्यापार को ख़त्म करने के ख़िलाफ़ सालों से अभियान चलाया था. इस संगठन ने नागालैंड सरकार के फ़ैसले का स्वागत किया है.


एचएसआई की मैनेजिंग डायरेक्टर अलोकपर्णा सेनगुप्ता ने बीबीसी को बताया, "नागालैंड में कुत्तों की पीड़ा की एक काली छाया भारत पर छाई रही है और यह ख़बर भारत में छिपे तौर पर होने वाले कुत्ते के मांस के व्यापार को ख़त्म करने में एक बड़ी वजह साबित होगी."


एचएसआई के अनुसार, नागालैंड में हर साल तकरीबन 30,000 कुत्ते तस्करी करके लाए जाते हैं जिन्हें बाज़ार में बेचा जाता है और उन्हें लकड़ी के डंडों से जान से मारा जाता है.


नागालैंड के सामाजिक मुद्दों को लंबे समय से कवर करते आ रहें वरिष्ठ पत्रकार समीर कर पुरकायस्थ कहते है, "मिज़ोरम और नागालैंड में अधिकांश जनजातियां मंगोलॉयड स्टॉक की हैं. इन जनजातियों की संस्कृति और खान-पान चीन, कोरिया और वियतनाम के लोगों के साथ काफी मिलती-जुलती हैं. मुख्य तौर पर कोरिया में लोग कुत्ते का मांस बहुत ज्यादा खाते है."


ऐसा कहा जाता है कि मंगोलॉइड स्टॉक के लोगों के खून में आयरन की मात्रा कम होती हैं. जबकि कुत्ते के मांस में अन्य मांस की तुलना में अधिक लौह तत्व होता है. मंगोलॉयड स्टॉक के लोगों के कुत्ते का मांस पसंद करने के पीछे ऐसा भी एक कारण दिया जाता रहा है.


इससे पहले मिज़ोरम की सत्ता संभाल रही मिज़ो नेशनल फ्रंट की अगुवाई वाली सरकार ने इसी साल 4 मार्च को अपनी एक घोषणा मे कहा था कि कुत्तों को मवेशी अर्थात पशुधन नहीं माना जाएगा. इस तरह मिज़ोरम विधानसभा ने पुराने कानून में संशोधन करते हुए सर्वसम्मति से मिज़ोरम पशु वध (संशोधन) विधेयक, 2020 को पारित कर दिया और कुत्तों की बिक्री पर रोक लगा दी.


लेकिन बड़े पैमाने पर दुनिया के कई देशों में कुत्तों का मांस खाया जाता है. इनमें चीन, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड जैसे देश शामिल हैं.---------एजेंसी नागालेंड 


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